Kargil Vijay Diwas 2024: हर साल भारत में 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है, इस साल 2024 में देश कारगिल युद्ध में जीत की 25वीं वर्षगांठ मना रहा है। यह दिवस 26 जुलाई 1999 को कारगिल युद्ध में भारतीय सेना की जीत की याद में मनाया जाता है। कारगिल युद्ध वर्ष 1999 में मई से जुलाई महीने में भारत और घुसपैठी पाकिस्तानी सेना व आतंकवादियों के बीच जम्मू और कश्मीर राज्य के कारगिल जिले में हुआ था।
कारगिल विजय दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?
भारत में कारगिल विजय दिवस हर साल 26 जुलाई को मनाया जाता है, यह सन् 1999 के कारगिल युद्ध में पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय सेना की जीत का प्रतीक है। यह दिन हमें उन वीर सैनिकों की याद दिलाता है जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर भारत की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा की।
कारगिल युद्ध में भारतीय सेना के कई वीर जवान शहीद हुए। हर साल 26 जुलाई को, पूरा देश इन शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करता है। दिल्ली के इंडिया गेट और देश भर के युद्ध स्मारकों पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
कारगिल विजय दिवस का महत्व
कारगिल विजय दिवस हमें हमारी सेना की वीरता और देशभक्ति की याद दिलाता है। यह दिन हमें यह भी सिखाता है कि चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी विकट क्यों न हों, हमारे सैनिक अपनी जान की बाजी लगाकर देश की रक्षा करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। यह दिन हमें एकजुट होकर अपने देश की सुरक्षा और सम्मान की रक्षा करने की प्रेरणा देता है।
कारगिल युद्ध का पृष्ठभूमि और ऑपरेशन विजय
बात उस समय की है जब वर्ष 1999 में, पाकिस्तानी सैनिकों और आतंकवादियों ने कारगिल जिले में नियंत्रण रेखा (LoC) के भारतीय इलाके में घुसपैठ की और कई ऊंची पहाड़ियों पर कब्जा जमा लिया। जिसके पीछे इनका मुख्य उद्देश्य भारतीय सेना की सप्लाई लाइन को काटकर सियाचिन ग्लेशियर पर कब्जा करना था।
भारत को मई 1999 में जब पाकिस्तान की इस नापाक हरकत का पता चला तो उन्होंने इसका जवाब देने के लिए ऑपरेशन विजय चलाया और कारगिल की दुर्गम पहाड़ी चोटियों में लगभग 60 दिनों तक चले इस भीषण युद्ध में भारत ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़कर टाइगर हिल और दूसरे अहम प्वाइंट्स पर अपना नियंत्रण पुनः प्राप्त किया।
टाइगर हिल और तोलोलिंग की लड़ाई
कारगिल युद्ध के दौरान टाइगर हिल और तोलोलिंग की लड़ाई भारतीय सेना के लिए महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई। इन दोनों लड़ाइयों में भारतीय सेना ने अदम्य साहस और वीरता का परिचय दिया, जिसके कारण उन्हें सफलता प्राप्त हुई और कारगिल युद्ध में निर्णायक बढ़त मिली।
टाइगर हिल की लड़ाई:
टाइगर हिल, द्रास सेक्टर में स्थित, एक रणनीतिक ऊंचाई है जिससे दुश्मन को पूरे क्षेत्र पर नजर रखने का फायदा होता। जुलाई 1999 में, भारतीय सेना ने कठिन परिस्थितियों में इस ऊँचाई पर कब्जा जमाए बैठे पाकिस्तानी घुसपैठियों को हटा दिया। इस जीत ने भारतीय सेना के मनोबल को बढ़ाया और युद्ध के परिणाम को प्रभावित किया।
तोलोलिंग की लड़ाई:
तोलोलिंग, द्रास सेक्टर में एक और महत्वपूर्ण पहाड़ी चोटी है। यह चोटी पाकिस्तानियों द्वारा कब्जा किए जाने के बाद, भारतीय सेना ने कई हमले किए और भारी संघर्ष के बाद 13 जून 1999 को इसे पुनः अपने नियंत्रण में लिया। इस जीत ने कारगिल युद्ध में भारत की स्थिति को और मजबूत किया।
ऑपरेशन सफेद सागर
भारतीय वायुसेना ने ऑपरेशन सफेद सागर चलाया, जिसमें मिग-21, मिग-27 और मिराज 2000 जैसे विमानों का उपयोग किया गया। वायुसेना ने दुश्मन के बंकरों और सप्लाई लाइनों पर बमबारी की, जिससे भारतीय सेना को आगे बढ़ने में मदद मिली।
विजय की घोषणा
26 जुलाई 1999 को भारतीय सेना ने कारगिल युद्ध में विजय की घोषणा की। यह दिन इतिहास में ‘कारगिल विजय दिवस‘ के रूप में अंकित हो गया। इस युद्ध में भारतीय सेना ने न केवल अपनी सैन्य क्षमता का प्रदर्शन किया, बल्कि दुश्मन को यह संदेश भी दिया कि भारत की संप्रभुता पर किसी भी तरह की चुनौती को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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प्रमुख शहीद और उनके योगदान
कारगिल युद्ध में भारतीय सेना ने 450 से अधिक सैनिकों, जवानों और अधिकारियों को खो दिया। हालांकि प्रमुख शहीदों में कैप्टन विक्रम बत्रा, लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे, कैप्टन अनुज नैयर, कैप्टन अमोल कालिया और राइफलमैन संजय कुमार शामिल हैं।
- 1. कैप्टन विक्रम बत्रा: कैप्टन विक्रम बत्रा ने अपनी अद्वितीय वीरता का परिचय देते हुए प्वाइंट 4875 पर कब्जा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्हें “शेरशाह” के नाम से जाना जाता था। उनके साहस और बलिदान के लिए उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।
- 2. राइफलमैन संजय कुमार: परमवीर चक्र से सम्मानित राइफलमैन संजय कुमार ने मॉस्को वैली पॉइंट 5875 पर ‘एरिया फ्लैट टॉप‘ पर कब्जा करने के लिए अकेले ही कई आतंकवादियों को मार गिराया और दुश्मनों के कई बंकरों को नष्ट कर उन पर कब्जा किया। इस दौरान उन्हे 3 गोलियां लगी थी और वे पूरी तरह लहू-लुहान थे।
- 3. ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव: परमवीर चक्र से सम्मानित कैप्टन योगेंद्र सिंह यादव ने जान की बाजी लगाकर दुश्मन की 17 गोलियां झेलते हुए, ‘टाइगर हिल‘ चोटी फतह किया। उन्हें “टाइगर हिल का टाइगर” भी कहा जाता है।
- 4. लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे: उन्होंने अपनी गोरखा रेजिमेंट के साथ खालूबार पर कब्जा करते हुए दुश्मनों के कई बंकरों को ध्वस्त किया। अद्वितीय साहस और वीरता के लिए उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।
- 5. कैप्टन अनुज नैयर: उन्होंने प्वाइंट 4875 पर कब्जा करने के दौरान दुश्मनों के कई ठिकानों को नष्ट किया। उनके बलिदान और बहादुरी के लिए उन्हें मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया।
निष्कर्ष
कारगिल विजय दिवस भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय है। यह दिन हमें उन वीर जवानों की याद दिलाता है जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर हमारे देश की रक्षा की। हमें गर्व है अपनी सेना पर, और हमें हमेशा उनके बलिदान को याद रखना चाहिए। 26 जुलाई को हर साल, हम उन वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और उनकी वीरता को सलाम करते हैं।