सुंदर पिचाई की प्रेरणादायक कहानी (Sundar Pichai Biography)

Sundar Pichai biography: Google के CEO सुंदर पिचाई के बारे में आज सारी दुनिया जानती है उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से Google के सीईओ के पद को हासिल किया है, आज के इस लेख में हम आपको सुंदर पिचाई की प्रेरणादायक जीवनी (Motivational Story) बताने जा रहे हैं। आखिर कैसे तमिलनाडु के छोटे से गांव का लड़का आज दुनिया की दिग्गज Tech कंपनियों में से एक गूगल का सीईओ और इसकी पैरंट कंपनी अल्फाबेट का सीईओ बना।

बहुत कम लोग जानते हैं कि सुंदर पिचाई एक निम्न मध्यवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते हैं। और उनके पिता ने उन्हें अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में भेजने के लिए अपनी 1 साल की तनख्वाह से उनकी हवाई जहाज की टिकट का इंतजाम किया था। अब आप समझ सकते हैं कि शुरुआती दिनों में उनके परिवार की क्या स्थिति थी।

Sundar Pichai Biography in Hindi
Sundar Pichai Biography in Hindi

तमिलनाडु के छोटे से गांव में जन्मे सुंदर पिचाई ने वर्ष 2004 में Google ज्वाइन किया और 2015 में इसके CEO बने। आइए उनकी प्रेरणादायक जीवनी (बायोग्राफी) के बारे में विस्तार से जानें….


सुंदर पिचाई का जीवन परिचय (Sundar Pichai Biography in Hindi)

सुंदर पिचाई का जन्म तमिलनाडु के मदुरै शहर में हुआ जहां वह अपने माता-पिता और एक भाई के साथ 2 कमरे वाले अपार्टमेंट में रहते थे।

उनका कोई अलग कमरा नहीं था वह अपने छोटे भाई के साथ फर्श पर ही सोते थे, इतना ही नहीं उनके घर मनोरंजन के लिए टेलीविजन और घूमने के लिए कार तक नहीं थी हालांकि उन्हे क्रिकेट खेलने का बहुत शौक था और वह अपनी स्कूल क्रिकेट टीम के कप्तान भी थे।

उनके पिता ने कई सालों की कमाई से कुछ पैसा बचा कर एक नीले रंग का स्कूटर लिया था परिवार की चारों सदस्य इसी स्कूटर पर या फिर शहर की भरी बसों में सफर किया करते थे।


पिता के काम से बढ़ा टेक्नोलॉजी में लगाव

सुंदर पिचाई के पिता रघुनाथ पिचाई ब्रिटिश कम्पनी में इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर थे अपने पिता से ही पिचाई को टेक्नोलॉजी से जुड़ने की प्रेरणा मिली, क्योंकि उनके पिता काम से आकर अपने काम का अनुभव उनके साथ शेयर किया करते थे।

वे 12 वर्ष के थे जब उनके जीवन में उनका सबसे पहला टेक्नोलॉजी यंत्र टेलिफोन उनके पिता रघुनाथ पिचाई लेकर आए थे उस समय वे सभी नंबरों को आसानी से याद कर लिया करते थे।

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स्कूल में थे एवरेज विद्यार्थी (IIT में किया टॉप)

जवाहर विद्यालय में पढ़ाई के दौरान वे एक एवरेज स्टूडेंट थे और इतिहास और भूगोल में वे काफी कम नंबर लाते परन्तु विज्ञान में उनकी पकड़ अच्छी थी। 17 साल की आयु में उन्होंने आईआईटी प्रवेश परीक्षा पास कर आईआईटी खड़गपुर में मेटालर्जिकल इंजीनियरिंग में एडमिशन लिया।

1993 में उन्होंने अपने बैच में टॉप किया जिसके लिए उन्हें ‘रजत पदक’ भी दिया गया साथ ही उन्हे आगे की पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप भी मिली जिससे वह अमेरिका के स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी गए।

साल 1995 में वे स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में बतौर पेइंग गेस्ट रहते थे। और पैसें बचाने के लिए कोई नई वस्तु नहीं खरिदी बस पुरानी चीजें ही काम में लाते रहे।

शुरूआत में जब अमेरिका में उन्होंने एक नया बैकपैक खरीदना चाहा तो उसकी कीमत जानकर उन्हें काफी ज्यादा Shock लगा क्योंकि उसकी कीमत $60 थी। इसके बाद उन्होंने 1 सेकंड हैंड बैकपैक खरीदा। और पैसों की तंगी को कभी पढ़ाई के बीच नही आने दिया।

सुंदर पिचाई का मन PHD करने का था परंतु बीच में उनकी आर्थिक स्थिति कुछ ऐसी हो गई कि उन्हें अप्लाइड मैटेरियल्स कंपनी में प्रोजेक्ट मैनेजर की जॉब करनी पड़ी जिसके बाद उन्होंने पैसों का इंतजाम कर एक बार फिर MBA करने के लिए पेंसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया और अपनी एमबीए की पढ़ाई पूरी की।

इस दौरान वे कई-कई महीनों तक अपने प्रियजनों से बात भी नहीं कर पाते थे क्योंकि उस समय ISD कॉल के रेट काफी ज्यादा होते थे।


Google में कड़ी मेहनत के बाद मिली सफलता

MBA की पढ़ाई पूरी कर वह एक मशहूर कंपनी मैकिन्से में कंसल्टेंट के तौर पर काम करने लगे लेकिन वहां से भी उन्हें कोई पहचान नहीं मिली।

इसके बाद उन्होंने 2004 में गूगल को जोइन किया। गूगल क्रोम ब्राउज़र के लॉन्च करने के आईडिया और इसकी सफलता ने उन्हें गूगल के संस्थापकों में से एक ‘लैरी पेज‘ की नजरों में एक काबिल इंसान बना दिया था।

हालंकि यह इतना आसान नहीं था उन्होंने इसके लिए भरपूर प्रयास किए, जबकि गूगल के संस्थापक तक उनके Web Browser आईडिया से प्रभावित नहीं थे। परंतु Chrome Browser की सफलता के बाद उनके प्रति सबका नजरिया बदल गया। जिसके बाद उन पर कई जिम्मेदारियां दी गई जिसमें क्रोम ऑपरेटिंग सिस्टम, एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम तथा गूगल ऐप शामिल थे।

वर्ष 2011 में पिचाई को सीनियर वाइस प्रेसिडेंट का पद दिया गया और उनकी गूगल के प्रति लगन और काबिलियत को देखते हुए आखिरकार वर्ष 2015 में गूगल का सीईओ बना दिया गया।

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कौन है पिचाई का लकी चार्म

दरअसल सुंदर पिचाई अपनी पत्नी और पूर्व गर्लफ्रेंड रही अंजलि को अपना लकी चार्म मानते हैं। उनके कहने पर ही उन्होंने माइक्रोसॉफ्ट और टि्वटर जैसी कंपनियों से ऑफर आने के बाद भी गूगल को नहीं छोड़ा।

अब पिचाई गूगल तथा इसकी पैरंट कंपनी अल्फाबेट के सीईओ भी है साथ ही पिचाई की गिनती दुनिया के सबसे ज्यादा वेतन लेने वाले अधिकारियों में होती है।

साल 2015 में है उन्होंने अमेरिका में अपना खुद का ₹44 करोड़ का घर भी खरीदा है। और अपने माता-पिता के लिए चेन्नई में एक आलीशान फ्लैट भी लिया है लेकिन उनके माता-पिता अपने पुराने घर में ही रहते हैं।

Sundar Pichai को लोग Google के Founder Larry Page से अधिक सफल CEO मानते है उनके सरल स्वभाव और प्रभावी सोच के कारण Google के सभी कर्मचारी उन्हें पसंद और उनका सम्मान करते है शायद ही कोई कर्मचारी ऐसा हो जो उन्हें पसंद ना करता हो।

वे भले ही अमेरिका के नागरिक बन गए हो परंतु भारत से उनका अटूट लगाव है, इसलिए वे अक्सर Video Calling के जरिए IIT के छात्रों से बातचीत करते रहते है और भारत भी आते रहते हैं।

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